नमाज मे रूकू
नमाज में रुकूं के बाद और सजदे से पहले सुकून से सीधा खड़ा होना वाजिब है इस हालत को "कोमा" कहते हैं। इस तरह दोनों सजदों के दरमियान सीधा बैठना भी वाजिब है इस हालत को "जलसा" कहते हैं। कुछ लोग जल्दी करते हुए कोमा और जलसा में सुकून से एक बार सुभानाल्लाह कहने के बराबर सीधे खड़े नहीं होते और उनका वाजिब अदा नहीं होता और वाजिब अदा ना होने से नमाज भी अदा नहीं होती। दो- चार लोगों को सेंड कर दे, हजारों नहीं लाखों की इस्लाह हो जाएगी और आप सदका ए जारिया के मुसतहिक हो जाएंगे। नमाज़ की कुछ शर्ते हैं. जिनका पूरा किये बिना नमाज़ नहीं हो सकती या सही नहीं मानी जा सकती. कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए होना ज़रूरी है, तो कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए पूरा किया जाना ज़रूरी है. तो कुछ शर्तो का नमाज़ पढ़ते वक्त होना ज़रूरी है, नमाज़ की कुल शर्ते कुछ इस तरह से है. बदन का पाक होना कपड़ो का पाक होना नमाज़ पढने की जगह का पाक होना बदन के सतर का छुपा हुआ होना नमाज़ का वक्त होना किबले की तरफ मुह होना नमाज़ की नियत यानि इरादा करना ख़याल रहे की पाक होना और साफ होना दोनों अलग अलग चीज़े है. पाक होना शर्
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